bajrang bali ki aarti

bajrang bali ki aarti

हनुमान जी शिव जी के 11 वां अवतार शास्त्रों द्वारा कहे गए हैं। शास्त्रों के अनुसार ही ये अभी पृथ्वी पर सशरीर हैं और हमेशा रहेंगे। हनुमान जी की सबसे बड़ी विशेषता उनका श्री राम के प्रति प्रेम और समर्पण है। तुलसी दस जी ने श्री हनुमान जी ,जिन्हे हम बजरंग बलि भी कहते है के लिए अति सूंदर आरती लिखा है। इसी बजरंग बली की आरती(bajrang bali ki aarti) को सभी मंदिरो में पूजा के पश्चात गया जाता है। सुंदरकांड के पथ भी इसी आरती के द्वारा सुंदरकांड पाठ को पूर्णता  दी जाती है। बहुत ही सरस सुर प्रभावशाली है बजरंग बली जी(bajrang bali ki aarti) की ये आरती ।

bajrang bali ki aarti

आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥

जाके बल से गिरवर काँपे ।
रोग-दोष जाके निकट न झाँके ॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई ।
संतन के प्रभु सदा सहाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

दे वीरा रघुनाथ पठाए ।
लंका जारि सिया सुधि लाये ॥
लंका सो कोट समुद्र सी खाई ।
जात पवनसुत बार न लाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

लंका जारि असुर संहारे ।
सियाराम जी के काज सँवारे ॥
लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे ।
लाये संजिवन प्राण उबारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

पैठि पताल तोरि जमकारे ।
अहिरावण की भुजा उखारे ॥
बाईं भुजा असुर दल मारे ।
दाहिने भुजा संतजन तारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

सुर-नर-मुनि जन आरती उतरें ।
जय जय जय हनुमान उचारें ॥
कंचन थार कपूर लौ छाई ।
आरती करत अंजना माई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

जो हनुमानजी की आरती गावे ।
बसहिं बैकुंठ परम पद पावे ॥

आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥

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