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hanuman ji ki aarti(हनुमान जी की आरती)
भारतवर्ष – अध्यात्म का केंद्र प्रारम्भ से ही रहा है। स्थूल रूप में यदि इसे देखेंगे तो शायद कुछ न मिले किन्तु यदि गहराई में जाते जाएँ तो – पूरा पार पाना संभव नहीं है। आकाश अनंत है। हम कितना देख पते हैं ये हमारा सामर्थ्य है.
भारत में बहुत से देवी देवताओं की आराधना विभिन्न तरीकों से की जाती है। उनमे से एक प्रमुख भगवान – हनुमान जी है. इन्हे शिव जी का 11 वां अवतार माना जाता है। इनकी पूजा आराधना बहुत विधियों के द्वारा की जाती है। सामान्य तौर में – सुंदरकांड का पाठ किया जाता है तत्पश्चात आरती भोग ,फिर कुछ भाजन गाकर, फिर विश्राम दिया जाता है।
सुंदरकांड का पाठ अत्यंत ही शक्तिशाली और तुरंत फल देने वाली है। कई बार मैंने बहुत विषम परिस्थितियों में जब इसका पाठ किया या सुना तो तत्काल बहुत आराम मिला । ये एक एलोपैथ मेडिसिन की तरह है . कुछ दुःख तकलीफ तत्काल समाप्त हो जाते है .
हनुमान चालीसा की रचना गोस्वामी तुलसीदास जी ने की थी. गोस्वामी तुलसीदास जी ने बहुत से सरल व सरस रचनाएँ दी हैं जो सामान्य से सामान्य इंसान भी कर सके और जिसमे बहुत रस है,आनंद है . ..
hanuman ji ki aarti(हनुमान जी की आरती)
आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
जाके बल से गिरवर काँपे ।
रोग-दोष जाके निकट न झाँके ॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई ।
संतन के प्रभु सदा सहाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
दे वीरा रघुनाथ पठाए ।
लंका जारि सिया सुधि लाये ॥
लंका सो कोट समुद्र सी खाई ।
जात पवनसुत बार न लाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
लंका जारि असुर संहारे ।
सियाराम जी के काज सँवारे ॥
लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे ।
लाये संजिवन प्राण उबारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
पैठि पताल तोरि जमकारे ।
अहिरावण की भुजा उखारे ॥
बाईं भुजा असुर दल मारे ।
दाहिने भुजा संतजन तारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
सुर-नर-मुनि जन आरती उतरें ।
जय जय जय हनुमान उचारें ॥
कंचन थार कपूर लौ छाई ।
आरती करत अंजना माई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
जो हनुमानजी की आरती गावे ।
बसहिं बैकुंठ परम पद पावे ॥
लंक विध्वंस किये रघुराई ।
तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
hanuman ji ki aarti in english
Aarti kijai hanuman lala ki , Dusht dalan Raghunath kala ki .
Jake bal se girvar kanpai ,rog-dosh jake nikat na jhanke.
Anjani putra mahabali dai,santan ke prabhu sada Sahai.
Aarti kijai hanuman lala ki ………………….
De vira Raghunath pathaye ,lanka jari siya sudhi laye .
Lanka so koti Samudra si khayi ,jat pavan sut bar n alai.
Aarti kijai hanuman lala ki …
Lanka jari asur sanhare,siyaram ji ke kaj sanware .
Lakshman murchhit pade sakare ,laye sanjivan pran ubare .
Aarti kijai hanuman lala ki …
Paithi pataal tori jamkare ,ahiravan ki bhuja ukhare .
Bain bhuja asur dal mare ,dahine bhuja santjan tare.
Aarti kijai hanuman lala ki …
Sur nar muni jan aarti utaren,Jay jay jay hanuman charen.
Kanchan thar kapur lau chhai ,aarti karat Anjana mai .
Aarti kijai hanuman lala ki …
Jo hanuman ji ki aarti gavain ,basahi baikunth param pad pavain.
Aarti kijai hanuman lala ki …
Dusht dalan Raghunath kala ki ….
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